December 19, 2008

Asking Good Questions is Half Of Learning.

I was pondering over few things, tackling few issues, righteously termed important and not making any breakthrough, something was missing for sure.....

What was it?

A good question to begin with, really! Was it that good??? Am not sure about it.

But it indeed was a breakthrough, because now I knew that something (the key to resolving this issue) was missing and I just have to search for it.

Asking good questions is half of learning - By Muhammad

But this was brought to my knowledge by someone who is leading my current industry in his own, very down to earth style, DAN as we all call him. The first interaction in between us enriched me by enhancing my knowledge about gathering information, as he told me, A perfect question brings you the answer that you seek, and a stupid answer is what you get when you pose one stupid question?

So, these days I am learning how to pose intelligent questions in order to get intelligent or required answers...

Learning is a life long experience and we all must be open to it.

As it is clear for me by now, Half of life should have good questions and the later half would be spent in getting all the nicest of answers, Don't we all want a happy and peaceful life filled with the best of memories???

Do Pardon me if I have posted any stupid question, because I am still perfecting the art of posing the right questions???

December 12, 2008

अस्पताल और सफ़ेद चोगा - इक नया औद्योगिक उपक्रम!


कभी देव तुल्य लोगों का वास समझी जाने वाली समाज की एक ईकाई, सरल शब्दों में कहें तो अस्पताल और देव समान सम्मान पाने वाले डाक्टर आजकल एक औद्योगिक ईकाई में तब्दील हो चुके हैं और इस ईकाई में कल पुर्जों के तौर पर कार्यरत कई कुशल डाक्टर्स एवं इनके फिल्मों से अवतरित सहायक, मरीजों और उनकी मिजाजपुर्सी करने वाले लोगों को कच्चे इंधन के बतौर इस्तेमाल करके निरंतर लाभ कमाती निजी सेवा उपक्रमों में सर्वप्रथम आने की होड़ में शामिल अन्यन्य औद्योगिक इकाइयों की कतार में, अपने अस्पतालों को प्रथम पाँच अथवा प्रथम दस की गिनती में शुमार करवा चुके हैं|

पहला दिन.... १

अभी कुछ दिन पहले ही मेरा पदार्पण एक ऐसे ही विश्वविख्यात अपोलो अस्पताल में किसी कार्यवश हुआ था और मैं भौंचक था कि, क्या मैं किसी अस्पताल में खड़ा हूँ या किसी पंचतारा होटल के प्रांगण में? सरकारी अस्पतालों की कई दफे ख़ाक छान चुका मेरा अस्पताल आने भर के ख़याल से ही बोझिल हुआ मन थोड़ा हल्का हुआ ही था की एक छोटी सी बात ने मुझे चोट दी, या यूँ कहें की मेरे अंतर्मन पे दस्तक दी कि, यहाँ पर्चा भर बनवाने की एवज में कुछ रकम जमा करवानी पड़ेगी, खैर बीच मझदार खड़ा तो हो नहीं सकता था, सोचा थोड़े हाथ-पैर चला ही लिए जायें, अब कुछ रकम नामालूम-जरुरी परीक्षणों के लिए भी जमा करवाई गई, और एक छोटी सी मुस्कान के साथ मरीज को दोपहर में एक बार आहार हेतु एक रसीद दी गई, जिसमे पश्चात पता चला की एक अच्छी खुराक वाले इंसान के लिए ही काफ़ी आहार नहीं होता| चलिए परीक्षणों हेतु नमूने जमा करवाए गए और फ़िर एक मंद-मंद मोहक सी मुस्कान के साथ एक सहायिका ने ख़बर दी की, इन परीक्षणों की जांच के नतीजे अगले रोज ही उपलब्ध हो सकेंगे, आह रे मेरे सौम्य और सभ्य वातावरण में पोषित मन, हमने भी एक हलकी मगर दर्द भरी और अपना सर्वत्र लुटा चुकी कोमलांगी की भांति ही धन्यवाद प्रेषित करते हुए, मरीज को अपनी कांख में दबाये इस यत्र-तत्र-सर्वत्र ख्याति प्राप्त अस्पताल से खिसक लेने में ही भलाई समझी|

बाहर आने से पहले मरीज के प्रेमपूर्व भोजन हेतु आमंत्रण को मेरा भूख से बिदक चुका मन तुंरत स्वीकार कर गया और मुझे पता ही नही चला की कब मेरे कदम इस आलिशान रेस्तरां के भीतर आकर एक गोल मेज और सजावटी कुर्सी पे अपनी बपौती साबित कर चुके थे| चलिए खाने का प्रस्ताव दिया गया और फ़िर ध्यान गया मूल्य-सूची की ओर, लगा की कदम यहाँ से और इस अस्पताल से बाहर भागने को तत्पर हो चुके हैं, लेकिन ज्यों गेहूं संग घुन पिसना एक तथ्य है, मुझे भी अपने खाने के लिए कुछ तो लेना ही था| चलिए खाना जैसे-तैसे गले से नीचे उतरा और हमने घर की बाट ली|

दूसरा दिन....2

कल हुए खर्च ने और समाज में हुए झूठे सम्मान से (अगला अपने जानने वाले को अपोलो अस्पताल में दिखाता है) मन को मजबूत किए आज कल हुए खर्च से भी अधिक रकम अपनी जेब में रख घर से बाहर निकल पड़े ( लोगों को पता चलने चाहिए कि इंसान रिश्तों के आगे पैसे को कुछ नही समझता) और मरीज का दर्शन ज्ञान बांटते चल पड़े अस्पताल की और|

आज का दिन अस्पताल में डाक्टरों के सहायकों से सुलझने, जांच नतीजे एकत्रित करने और निर्देशित प्रबंधकों के पास जांच हेतु आवश्यक राशि जमा कराने और फ़िर महाविख्यात डाक्टरों से मिलने एवं उनकी राय और सलाहों को एकत्रित करने में ही गुजर गया| सांझ ढले ६ बजे पश्चात खाने की सुध ली और आज भी एक मोटी रकम खर्च कर कुछ उल-जलूल सा कुछ खा भर लिया, मन को साधना कठिन है, अब उदर में भोज कहा जा सकने वाला कुछ था और हम ज़ंग-जीते सिपाहियों की भाँती अस्पताल से बाहर निकल पड़े| आज लगातार दुसरे दिन देखे जाने की वजह से अस्पताल का दरबान ( जी हाँ, अस्पतालों में दरबान भी होते हैं) भी मुस्कुराया, सोचता होगा कल तक अकाल ठिकाने आ जायेगी| लेकिन हम भी कहाँ मानने वाले थे|

तीसरा दिन....३

आज का दिन भी बीत चुके दो दिनों की तरह ही सामने आया और हम मौजूद थे अस्पताल के प्रांगण में, दो दिनों में हुई जाँच और उनके नतीजे हमारे हाथों में थे और प्रख्यात डाक्टरों की विशेष सलाहें और पूर्वाग्रह हमें कुछ और जाँच करवाने को प्रेरित करते हुए से मालूम पड़ते थे| लेकिन बीत चुके दो दिन और प्रथम जाँच नतीजे कुछ और ही कहते थे| विश्वविख्यात डाक्टरों की टिप्पणियाँ और सरेआम चिल्लाते जाँच नतीजे विरोधाभासी थे, निर्णय मेरे हाथ में था, और निर्णय को सहारा मिला मरीज की दबी हुई आवाज से, डाक्टरों से मरीज का कहना था - आप सभी विख्यात लोगों ने मुझे अपना समय दिया और मेरे परीक्षण करवाने में तन-मन से मेरा एवं मेरे सहयोगी (मेरा) का साथ दिया, यह जाँच नतीजे और मेरी सेहत यही कहती है कि, इस वक्त मुझे और किसी परिक्षण की जरुरत नहीं है| और फ़िर हम दोनों इस विश्वविख्यात अस्पताल से खुशी-२ बाहर आ चुके थे|

लेखा-जोखा...

तीन दिन का समय इन महान डाक्टरों एवं इस अस्पताल की कलई खोल चुका था, यहाँ मरीज आते हैं इलाज करवाने हेतु जो काफ़ी हद तक होता भी है, लेकिन इसके साथ ही होता है मरीज और उसके साथ आए हुए लोगों का शोषण, ना मालूम कितने जरुरी-गैरजरूरी परीक्षणों के एवज में वसूली जाने वाली तीन गुना रकम (समान परीक्षणों हेतु बाहर किसी जाँच विशेषज्ञ को दी जाने वाली राशि), डाक्टरों की विशेष रपट हेतु चुकाई जाने वाली रकम, यहाँ खाने के नाम पर चंद कौर परोसने की व्यवस्था जो खर्च कर सकने वाले लोगों को ही मुहैया होती है, और भी ऐसी ही कई अन्य सेवाएँ जो विशेष रकम चुका कर प्राप्त की जा सकती हैं, इस अस्पताल को एवं यहाँ के पूर्व वर्णित कलपुर्जों को एक सफल उद्यम और सफल औद्योगिक ईकाई के रूप में सामने लाता है|

याद आता है किसी सफल उद्यमी द्वारा कहा गया यह कथन - ऐसा शोषण जहाँ शिकायत ना सुनाई दे, एक सफल उद्यम और सर्वत्र सफल औद्योगिक ईकाई की आधारशिला है|