June 21, 2010

कौन सगा कौन पराया - आज का मानुष

अब भैया, हमको चलने की आदत है सो चल पड़े हैं फिर से एक नया जहाँ बसाने और मुझे मालूम है की मेरी नयी दुनिया भी इतनी ही रंगीन और हसीं होगी जितनी की यह है, जिसमे मैं सांस लेता हूँ| कुछ सीखना और उन सीखों को आगे उपयोग में लाना ही मनुष्य की परिणीती है, कुछ सफल होते हैं और कुछ असफल! अब मैं जैसा भी हूँ, कहीं-कहीं, कभी-कभी आज के समाज से घालमेल नहीं खाता| कई दफे जिन लोगों के लिए रात-दिन एक करते रहे, फिरे वही आज दरकिनार करते जाते हैं, या मेरा वहम है, कहीं मैं खुद ही तो दूर नहीं होता चला जा रहा हूँ सबसे| अब जो भी है, यही है आपके सामने प्रस्तुत है| कुछ हट सा रहा है मन, इस तरह के लोगों से और ऐसी दुनिया से जो सिर्फ-और-सिर्फ अपने लिए सोचती है|

दम घुटने लगा है इस परायी सी दुनिया से, जहाँ कोई अपना नहीं| जहाँ कोई भी बगैर झूठ के बुर्के के अपनेआशियाने से एक कदम भी बाहर नहीं निकलता| क्या दुनिया वाकई में कोई रंगमंच है जहाँ हर किरदारकोई--कोई पात्र निभा रहा है और पात्र भी ऐसे-ऐसे जिन्हें किसी पटकथा की कोई जरुरत ही नहीं महसूस होती, वो खुद के हित में किरदार में तोड़-मरोड़ कर लेते हैं और यह किरदार किसी वैज्ञानिक-परिकल्पना से जन्मे यांत्रिक-मानव (रोबोट) के सरीखे हैं जिन्हें अब कोई इश्वर, अल्लाह, या कोई खुदा अपने बस में नहीं कर सकता... अब जो घटित होता है वो इसी मनुष्य के कर्मो का फल है और उस फल को मजबूरी में अन्यान्य मनुष्यों को भी झेलना पड़ता है! दुनिया सचमुच जहरीली हो गयी है, इसको अब और किसी बड़े रासायनिक, जैविक या प्राकृतिक हादसे या दुर्र्घटना की कोई जरुरत नहीं है, यह वैसे ही दूषित हो चुकी है और इसमें अब केवल चंद सफ़ेद-पोश लोग ही यह निर्धारित करते हैं की किसी का जन्म कैसे हो या फिर मृत्यु को कैसे भुनाया जाए और किसी पच्चीस वर्ष पुरानी चिता पे रोटियां कैसे सेकनी हैं इसके लिए यह अल्पावधि के पाठ्यक्रम भी आयोजित कर सकते है, खर्चा मात्र कुछ दस-पांच हजार| ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो कुछ चंद रुपयों और थोड़े समय के प्रचार के लिए दंगे फसाद भी करवा सकते है, क्या हो गया है समाज को? किस रास्ते पे चल रहा है मनुष्य| अगर यही रास्ता शेष रह जात है तो इस दुनिया से कहीं और चलने के लिए विवश हो जाऊँगा मैं.....

हर तरह से पराये इस संसार में मेरी नब्ज और मेरी साँसे ही मेरी सगी हैं और वो भी मृत्यु से विवाह होते ही अपनों की तरह पराये हो जायेंगे| चलो गनीमत है अभी उपरोक्त विवाह के होने कुछ-एक साल बाकी हैं!

1 comment:

  1. contemplating is such a waste of time Tara Babu... just keep walking.

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